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कोच गैरी कर्स्टन ने बताया 2011 विश्व कप में किसकी वजह से जीती टीम इंडिया

भारतीय क्रिकेट टीम के लिए बहुत सारे कोच आए। लेकिन भारत की टीम के लिए सबसे अच्छी फसल कोच की बात की जाए तो एक ही नाम सामने आता है वह है गैरी। साल 2011 विश्व कप में भारतीय टीम को दूसरा विश्व कप जिताने वाले पूर्व दक्षिण अफ्रीका खिलाड़ी और कोच गैरी कर्स्टन। जिनके मार्गदर्शन में टीम इंडिया ने 28 साल बाद विश्व कप का सूखा खत्म किया था। गैरी कर्स्टन का कार्यकाल भी इसी साल समाप्त हुआ था। गौरतलब है कि गैरी कर्स्टन ने भारतीय टीम का कमान उस वक्त संभाली थी जब ग्रेग चैपल की कोचिंग के बाद भारतीय टीम मुश्किल दौर से गुजर रही थी।

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आपको बता दें हाल ही में गैरी ने भारतीय टीम के खिताबी जीत के पीछे अपने पूर्व साथी और भारतीय टीम के मेंटल कंडीशनिंग कोच पैडी अपटन का बड़ा हाथ बताते हुए ड्रेसिंग रूम में उनकी अहमियत के बारे में बताया। दरअसल गैरी ने बताया कि कैसे ग्रेग चैपल के कार्यकाल के बाद भारतीय टीम का मनोबल काफी गिर गया था और खिलाड़ियों की मानसिक स्थिति को सुधारने के लिए अपटन ने कर्स्टन के साथ मिलकर शानदार काम किया। डेली सन के साथ बात करते हुए गैरी कर्स्टन ने भारतीय ड्रेसिंग रूम में अपटन के महत्व पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना ​​है कि कभी-कभी दाएं हाथ वाला व्यक्ति भी बेहतर योजनाओं के साथ आ सकता है। एक मजबूत भरोसेमंद संबंध जहां एक प्रमुख कोच को चुनौती दी जा सकती है और लगातार सार्थक प्रतिक्रिया मिल सकती हैं। हर टीम के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय क्रिकेट टीम के लिए मेरे 3 साल के कार्यकाल में पैडी अपटन मेरे साथ इस भूमिका में था।’

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पूरे विश्व में लोकप्रिय क्रिकेट के खेल को भारत में धर्म का दर्जा दिया जाता है जिसके चलते भारतीय खिलाड़ियों पर अतिरिक्त दबाव देखने को मिलता है। कर्स्टन के अनुसार खेल हो या फिर कुछ और लोगों को मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है ऐसे में पैडी अपटन ने भारतीय टीम से दबाव कम करने के और खेल को बेहतर बनाने में काफी मदद की।

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भारतीय क्रिकेट के लिए काफी गर्व की बात है कि साल 2011 में भारत ने दूसरी बार आईसीसी का वनडे विश्व कप जीता था। 1983 में पहली बार खिताब जीतने के बाद भारतीय टीम को दूसरे खिताब के लिये 28 साल का इंतजार करना पड़ा था। गैरी कर्स्टन की कोचिंग में भारतीय टीम ने अपना दूसरा खिताब जीता, जिसके बाद भारतीय टीम की कोचिंग की जिम्मेदारी डंकन फ्लेचर को सौंप दी गई।

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