भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर चल रहे हैं टीम के सर्वश्रेष्ठ टेस्ट सलामी बल्लेबाज में से एक मुरली विजय का आज 36 वें जन्मदिन है। मुरली विजय का जन्म चेन्नई में 1 अप्रैल 1984 को हुआ था। मुरली विजय ने भारत के लिए एक शर्ट टेस्ट मैच खेले हैं। जिससे उन्होंने 12 शतक और 15 अर्धशतक बनाए हैं। इसके अलावा उन्होंने 17 वनडे और दो टी-20 मैच में भी टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया है।
आपको बता दें मुरली विजय उन गिने-चुने क्रिकेटरों में शामिल है जो काफी संघर्ष के बाद यहां तक पहुंचे हैं। मुरली विजय का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। तो चलिए आपको बताते हैं कि टीम इंडिया का यह क्रिकेटर फर्श से अर्श तक कैसे पहुंचा।
वैसे तो दुनिया में कई क्रिकेटर हैं जिन्होंने स्टार बनने से पहले कई समस्याओं का सामना किया है। उन खिलाड़ियों ने दुखों से लड़कर खुद को सफल बनाया है और उन्हीं खिलाड़ियों में से एक का नाम मुरली विजय भी हैं। मुरली विजय पढ़ाई में बिल्कुल भी अच्छे नहीं थे। इसके साथ ही मुरली विजय 12वीं की बोर्ड परीक्षा में भी फेल हो गए थे।
12वीं में फेल होने के बाद मुरली विजय ने घर छोड़ने का फैसला किया। मुरली के फैसले ने माता-पिता को चिंतित कर दिया। लेकिन मुरली विजय एक अलग सोच रखने वाले व्यक्ति थे। मुरली विजय ने घर छोड़ने से पहले अपने माता पिता से कहा, ‘घबराओ मत, मैं आत्महत्या नहीं करूंगा। मैं अपने हिसाब से जीना चाहता हूं और अपनी पहचान बनाना चाहता हूं।’
मुरली विजय को घर छोड़ने के बाद उनको अपने दोस्तों से मदद की उम्मीद थी। मगर उनके दोस्त भी उनके काम नहीं आ सके जिसके बाद वह चेन्नई वाईएमसीए और आईआईटी क्रिकेट ग्राउंड में सोते हैं। मुरली विजय ने पेड़ों के नीचे रात बिताई इतना ही नहीं उन्होंने एक छोटे पार्लर में भी काम किया।
दरअसल मुरली विजय ने 17 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। जब टीम इंडिया के मौजूदा गेंदबाजों भरत अरुण की नजर उन पर पड़ी तो मुरली विजय की किस्मत पलट गई। मुरली विजय ने साल 2003 में पहली बार अलवरपेट के लिए क्लब क्रिकेट खेला और एक साल के भीतर उन्होंने तमिलनाडु की अंडर -22 टीम में जगह बनाई। तमिलनाडु ने सीके नायडू ट्रॉफी जीती और मुरली 6 मैचों में 26.45 के औसत से स्कोर करने में सफल रहे।
मुरली विजय की प्रतिभा को तमिलनाडु के चयनकर्ताओं ने पहचाना और उन्हें रणजी ट्रॉफी खेलने का मौका दिया गया। अपने पहले रणजी सत्र में, मुरली विजय ने 52 के औसत से 628 रन बनाए। 2007–08 के सीजन में भी, मुरली विजय ने 58 से अधिक की औसत से 582 रन बनाए। 2008 में, मुरली विजय को भारत ए टीम में चुना गया। । मुरली विजय न्यूजीलैंड गए और 45, 59 और 98 रनों की पारी खेली। इसके बाद 2008 की चैलेंजर ट्रॉफी में मुरली विजय ने 3 मैचों में 164 रन बनाकर टीम इंडिया में जगह बनाई।
मुरली विजय ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पदार्पण किया और अपने पहले मैच में उन्होंने सहवाग के साथ 98 और 116 की शुरुआती साझेदारी की। मुरली विजय ने अपना पहला टेस्ट शतक श्रीलंका के खिलाफ बनाया और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। और टीम इंडिया के बेस्ट टेस्ट ओपनरों में से एक के रूप में उभरे।
मुरली विजय एक ऐसे खिलाड़ी थे। जिन्हें अपने ही दोस्त की पत्नी से प्यार हो गया था। दिनेश कार्तिक और मुरली विजय दोनों ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेला है। हालांकि, हम में से कुछ ही लोग जानते हैं कि मुरली विजय की वजह से दिनेश कार्तिक की पहली शादी टूट गई थी।
दिनेश कार्तिक की पहली पत्नी निकिता के साथ में डेटिंग शुरू की और उसी साल 21 वर्षीय दिनेश ने अपने बचपन की दोस्त निकिता वंजारा से शादी कर ली थी। लेकिन दुर्भाग्य से 5 साल बाद चीजें बदल गई जब निकिता को मुरली विजय से प्यार हो गया उस समय विजय भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा थे।
2012 में विजय हजारे ट्रॉफी मैच के दौरान, दिनेश कार्तिक को मुरली विजय के साथ अपनी पत्नी के संबंध के बारे में पता चला। दिनेश कार्तिक ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया और उसके तुरंत बाद मुरली विजय और निकिता ने एक दूसरे से शादी कर ली। दंपति के तीन बच्चे हैं।
हालाँकि, उन्होंने एक-दूसरे के खिलाफ कोई विवादित बयान नहीं दिया। दिनेश कार्तिक ने बाद में दीपिका पल्लीकल से शादी की जो एक राष्ट्रीय स्क्वैश खिलाड़ी हैं।